पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण फैसले और आदेश पारित हुए। यहां हम इन अहम कानूनी निर्णयों पर एक नजर डालते हैं:
1. मोटर दुर्घटना दावा मेक में गलती से खारिज नहीं होगा
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि वाहन के मेक में विसंगति किसी वैध दावे को खारिज करने का आधार नहीं बन सकती। यदि वाहन का पंजीकरण नंबर और अन्य मुख्य विवरण सही हों, तो मोटर दुर्घटना दावा खारिज नहीं किया जाएगा।
केस टाइटल: परमेश्वर सुब्रत हेगड़े बनाम न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य
2. TPA की धारा 53A में संरक्षण लंबित मुकदमे में समझौता करने पर नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम (TPA) की धारा 53A के तहत संरक्षण उन मामलों में नहीं मिलेगा जहां समझौता लंबित मुकदमे की जानकारी के बावजूद किया गया हो।
केस टाइटल: राजू नायडू बनाम चेनमौगा सुंदरा और अन्य
3. पुलिस से संपर्क किए बिना CrPC 156(3) के तहत FIR का आदेश नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि मजिस्ट्रेट CrPC की धारा 156(3) के तहत FIR दर्ज करने का निर्देश तब तक नहीं दे सकते, जब तक शिकायतकर्ता पहले CrPC की धारा 154(1) और 154(3) का पालन न कर ले।
केस टाइटल: रंजीत सिंह बाथ और अन्य बनाम केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और अन्य
4. बिना AOR के सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हो सकते सीनियर एडवोकेट
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिना AOR (Advocate-on-Record) के कोई भी सीनियर एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हो सकता। गैर-AOR वकील भी AOR के निर्देश पर ही बहस कर सकते हैं।
5. ताज ट्रेपेजियम जोन में MSME के लिए प्रदूषण जांच जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रेपेजियम जोन (TTZ) में MSME की स्थापना या विस्तार के लिए प्रदूषण आकलन को अनिवार्य किया। बिना जांच के अनुमति नहीं दी जाएगी।
6. सुनवाई में शारीरिक रूप से मौजूद वकीलों की ही उपस्थिति दर्ज होगी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल वही वकील जो कोर्ट में शारीरिक रूप से मौजूद होंगे और बहस करेंगे, उनकी उपस्थिति कार्यवाही में दर्ज होगी।
केस टाइटल: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य
7. चेक बाउंस मामले में 15 दिन बाद ही अपराध बनता है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NI Act की धारा 138 के तहत चेक बाउंस का अपराध तब बनता है जब मांग नोटिस के 15 दिनों बाद भी भुगतान नहीं किया जाता।
केस टाइटल: विष्णु मित्तल बनाम मेसर्स शक्ति ट्रेडिंग कंपनी
8. IBC स्थगन के बाद NI Act 138 के तहत मामला नहीं बनता
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि IBC स्थगन की घोषणा के बाद चेक बाउंस का मामला सामने आता है, तो कंपनी के पूर्व निदेशक पर NI Act की धारा 138 लागू नहीं होगी।
केस टाइटल: विष्णु मित्तल बनाम मेसर्स शक्ति ट्रेडिंग कंपनी
सुप्रीम कोर्ट के ये फैसले कानूनी दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण हैं। ऐसे ही साप्ताहिक अपडेट के लिए जुड़े रहें ExpertVakil.in के साथ।