धारा 8 और 9 के अंतर्गत धारक और सम्यक् अनुक्रम धारक की अवधारणा
परिचय परक्राम्य लिखत अधिनियम (Negotiable Instruments Act) की धारा 8 और 9 में धारक (Holder) और सम्यक् अनुक्रम धारक (Holder in Due Course) की परिभाषा दी गई है। यह आवश्यक है कि दोनों में मौलिक अंतर को समझा जाए, क्योंकि प्रत्येक सम्यक् अनुक्रम धारक एक धारक होता है, लेकिन प्रत्येक धारक, सम्यक् अनुक्रम धारक नहीं होता।
धारा 8: धारक की परिभाषा एक धारक वह व्यक्ति है जो किसी परक्राम्य लिखत पर शोध्य रकम प्राप्त करने का अधिकार रखता है। यह व्यक्ति विधिक रूप से अधिकृत होना चाहिए न कि केवल तथ्यगत रूप से।
- केवल कब्जा होना धारक होने का प्रमाण नहीं है।
- कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त धारक ही वैध धारक कहलाता है।
विधिक निर्णय: सरजू प्रसाद बनाम रामप्यारी देवी मामले में, नोट वादी के नाम पर न होने के कारण, वाद को खारिज कर दिया गया।
धारा 9: सम्यक् अनुक्रम धारक की परिभाषा सम्यक् अनुक्रम धारक वह है जो किसी लिखत को प्रतिफल सहित, परिपक्वता तिथि से पूर्व, सद्भावना के साथ, बिना किसी दोष की जानकारी के प्राप्त करता है।
- वाहक को देय लिखत का कब्जाधारी।
- आदेशित को देय लिखत का पाने वाला या पृष्ठांकिती।
विधिक उदाहरण: सूरज बली बनाम रामचन्द्र मामले में, पुत्र का दावा इस आधार पर खारिज किया गया कि वह लिखत का विधिक धारक नहीं था।
कब धारक नहीं माना जाएगा?
- यदि किसी ने चोरी, कपट या अवैध पृष्ठांकन से लिखा प्राप्त किया हो।
- यदि बैंक सिर्फ चेक की वसूली के लिए पृष्ठांकिती हो।
विशेष विधिक संदर्भ:
- इरिन जलकुडा बैंक लि. बनाम पोरूथूसरी पंचायत मामले में बैंक को धारक नहीं माना गया।
- क्यूरी बनाम मिसा में प्रतिफल के महत्व को स्पष्ट किया गया।
प्रतिफल का महत्व: प्रतिफल विधिमान्य होना चाहिए। यदि यह लोक नीति के विरुद्ध, कपटपूर्ण या अवैध हो, तो धारक सम्यक् अनुक्रम धारक नहीं माना जाएगा।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- उत्तराधिकारी, विधिक प्रतिनिधि भी धारक हो सकते हैं।
- परक्राम्य लिखत के खो जाने या नष्ट हो जाने की स्थिति में, जो उस समय इसका स्वामी था, वही धारक माना जाएगा।
निष्कर्ष: धारा 8 और 9 के अंतर्गत धारक और सम्यक् अनुक्रम धारक की परिभाषाओं को समझना आवश्यक है। एक वैध धारक बनने के लिए सिर्फ कब्जा पर्याप्त नहीं है; विधिक अधिकार होना आवश्यक है। सम्यक् अनुक्रम धारक के लिए प्रतिफल, सद्भावना और परिपक्वता से पहले लिखत का अधिग्रहण महत्वपूर्ण शर्तें हैं।