आज के समय में रियल एस्टेट में निवेश करना एक समझदार फैसला माना जाता है, लेकिन कई बार प्रॉपर्टी खरीदते समय लोग कुछ शॉर्टकट अपनाते हैं जो बाद में उनके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। ऐसा ही एक तरीका है ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ (Power of Attorney) से प्रॉपर्टी खरीदना। हालांकि यह प्रक्रिया आसान लगती है, लेकिन इसके पीछे कई कानूनी जोखिम और धोखाधड़ी के मामले छुपे होते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि पावर ऑफ अटॉर्नी से प्रॉपर्टी खरीदने के क्या नुकसान हो सकते हैं।
पावर ऑफ अटॉर्नी क्या है?
पावर ऑफ अटॉर्नी एक कानूनी दस्तावेज है जिसके जरिए संपत्ति का मालिक (ग्रांटर) किसी अन्य व्यक्ति (अटॉर्नी) को अपनी संपत्ति के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार देता है। यह अधिकार किसी विशेष कार्य या संपूर्ण प्रॉपर्टी के लेन-देन के लिए हो सकता है।
पावर ऑफ अटॉर्नी से प्रॉपर्टी खरीदने के बड़े नुकसान
1. स्वामित्व (ओनरशिप) का अभाव
- पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए खरीदी गई संपत्ति में खरीदार को वास्तविक स्वामित्व नहीं मिलता।
- केवल अधिकार स्थानांतरण होता है, जो मालिक की मर्जी पर निर्भर करता है।
2. कानूनी मान्यता की कमी
- सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों ने यह स्पष्ट किया है कि पावर ऑफ अटॉर्नी से प्रॉपर्टी खरीदना वैध बिक्री नहीं मानी जाएगी।
- ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट और रजिस्ट्रेशन एक्ट के अनुसार, बिना रजिस्टर्ड सेल डीड के स्वामित्व मान्य नहीं होगा।
3. धोखाधड़ी की संभावना
- अक्सर देखा गया है कि प्रॉपर्टी के असली मालिक के बिना जानकारी के भी फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी बनाकर संपत्ति बेची जाती है।
- एक से अधिक व्यक्तियों को एक ही संपत्ति बेचे जाने के मामले भी सामने आते हैं।
4. वारिस का दावा
- जिस व्यक्ति को पावर ऑफ अटॉर्नी दी गई है, उसकी मृत्यु के बाद स्वामित्व के दावे में विवाद हो सकता है।
- असली मालिक के उत्तराधिकारियों (Heirs) का कानूनी दावा मजबूत होता है।
5. बैंक लोन की असुविधा
- बैंकों द्वारा पावर ऑफ अटॉर्नी पर खरीदी गई प्रॉपर्टी पर लोन देना मुश्किल होता है।
- बिना रजिस्टर्ड डॉक्यूमेंट के बैंक वित्तीय सहायता नहीं देते।
सुप्रीम कोर्ट का नजरिया
सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में यह स्पष्ट किया है कि पावर ऑफ अटॉर्नी से प्रॉपर्टी बेचना अवैध है। 2011 के सुरज लैंप एंड इंडस्ट्रीज बनाम हरियाना राज्य मामले में कोर्ट ने कहा कि प्रॉपर्टी की बिक्री केवल रजिस्टर्ड सेल डीड के माध्यम से ही मान्य होगी।
कैसे बचें इन खतरों से?
- रजिस्टर्ड सेल डीड: हमेशा रजिस्टर्ड सेल डीड के माध्यम से ही प्रॉपर्टी खरीदें।
- कानूनी सलाह: खरीदने से पहले किसी अनुभवी वकील की सलाह जरूर लें।
- प्रॉपर्टी की जांच: रजिस्ट्री कार्यालय से प्रॉपर्टी के दस्तावेजों की जांच करवाएं।
- बैंक फाइनेंस: बैंक फाइनेंस वाली संपत्ति में धोखाधड़ी की संभावना कम होती है।
निष्कर्ष
पावर ऑफ अटॉर्नी से प्रॉपर्टी खरीदना आसान जरूर लग सकता है, लेकिन इसके कानूनी जोखिम बहुत बड़े हैं। किसी भी प्रॉपर्टी में निवेश करते समय पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की परेशानी से बचा जा सके।
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