परिवार में मतभेद और पीढ़ी दर पीढ़ी वैचारिक टकराव एक सामान्य घटना है। लेकिन सवाल तब गंभीर हो जाता है जब बात मां-बाप द्वारा अपने ही बच्चों को घर से बेदखल करने की आती है। क्या कानूनी रूप से यह संभव है कि माता-पिता अपने बच्चों को बुरे स्वभाव के आधार पर घर से निकाल दें? आइए, इस महत्वपूर्ण विषय पर भारतीय कानून का विश्लेषण करते हैं।
माता-पिता के अधिकार: संपत्ति का स्वामित्व
भारतीय कानून के तहत, जिस संपत्ति का स्वामित्व माता-पिता के पास है, उस पर उनका पूर्ण अधिकार है।
- स्व-अर्जित संपत्ति: यदि संपत्ति माता-पिता ने स्वयं अर्जित की है, तो वे कानूनी रूप से यह निर्णय ले सकते हैं कि वे किसे उसमें रहने की अनुमति देंगे। यदि बच्चे अनुचित व्यवहार करते हैं, तो माता-पिता उन्हें घर से बेदखल कर सकते हैं।
- पैतृक संपत्ति: पैतृक संपत्ति पर बच्चों का अधिकार होता है। ऐसे में माता-पिता उन्हें कानूनी तौर पर बेदखल नहीं कर सकते।
क्या कहता है सीनियर सिटीजन एक्ट 2007?
वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार ने Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007 लागू किया है। इस कानून के अनुसार:
- माता-पिता अपने देखभाल के अधिकार की मांग कर सकते हैं।
- यदि बच्चे अभद्र व्यवहार करते हैं या माता-पिता की देखभाल नहीं करते, तो जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
- जिला मजिस्ट्रेट के पास यह अधिकार है कि वह ऐसे बच्चों को माता-पिता की संपत्ति से बेदखल कर दे।
कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णय
विभिन्न अदालतों ने अपने फैसलों में यह स्पष्ट किया है कि स्व-अर्जित संपत्ति में माता-पिता को यह अधिकार है कि वे बुरे व्यवहार वाले बच्चों को बेदखल कर सकते हैं।
- दिल्ली हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि यदि बच्चे अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार करते हैं तो माता-पिता उन्हें अपनी संपत्ति से बाहर निकाल सकते हैं।
बेदखली की प्रक्रिया
- माता-पिता को सबसे पहले जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज करनी होगी।
- जिला मजिस्ट्रेट जांच करेगा और परिस्थिति का मूल्यांकन करेगा।
- उचित आधार पाए जाने पर बच्चों को घर से निकाला जा सकता है।
निष्कर्ष
बच्चों का माता-पिता के प्रति दायित्व केवल सामाजिक नहीं, बल्कि कानूनी भी है। यदि बच्चे अपने दायित्वों का पालन नहीं करते हैं और अभद्रता करते हैं, तो माता-पिता को यह अधिकार है कि वे उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत उन्हें स्व-अर्जित संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं। हालांकि, पैतृक संपत्ति में ऐसा करना संभव नहीं है।
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