सुप्रीम कोर्ट अप्रैल 2025 में एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर सुनवाई करेगा कि क्या सभी राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के तहत ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ माना जाना चाहिए। यह फैसला भारतीय लोकतंत्र में पारदर्शिता लाने के प्रयासों में एक अहम मील का पत्थर साबित हो सकता है।
क्यों है यह मामला खास?
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने उन याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनमें सभी राजनीतिक दलों को RTI Act के तहत “सार्वजनिक प्राधिकरण” घोषित करने की मांग की गई है।
10 साल से लंबित मामला
सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने अदालत में जोर देकर कहा कि यह मामला पिछले 10 वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। उनके साथ सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन भी अदालत में पेश हुए।
भूषण ने कहा कि यह मामला ऐतिहासिक चुनावी बॉन्ड केस से जुड़ा है, जहां संविधान खंडपीठ ने माना कि गुमनाम चुनावी बॉन्ड संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
क्यों जरूरी है पारदर्शिता?
भूषण ने अदालत को याद दिलाया कि चुनावी बॉन्ड मामले में माननीय जज ने स्पष्ट किया था कि मतदाताओं को राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने कहा,
“यह लोकतंत्र में पारदर्शिता के लिए अत्यंत आवश्यक है कि राजनीतिक दलों की फंडिंग का खुलासा किया जाए।”
सुप्रीम कोर्ट का रुख
CJI ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि इस मुद्दे की सुनवाई मामले की मेरिट के आधार पर की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि यह मामला 21 अप्रैल 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में नियमित बोर्ड में सूचीबद्ध किया जाएगा।
CIC का ऐतिहासिक फैसला
गौरतलब है कि केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने 3 जून 2013 को एक ऐतिहासिक निर्णय में कांग्रेस, भाजपा, सीपीआई (एम), सीपीआई, एनसीपी और ईएसपी सहित 6 राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को RTI अधिनियम की धारा 2 (एच) के तहत “सार्वजनिक प्राधिकरण” घोषित किया था। हालांकि, इन राजनीतिक दलों ने इस आदेश का पालन नहीं किया, जिससे यह मामला अब तक अदालत में लंबित है।
केस का शीर्षक
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया कैबिनेट सेक्रेटरी
डायरी नंबर: 16902/2015 और संबंधित मामले
इस महत्वपूर्ण फैसले का इंतजार न केवल आरटीआई कार्यकर्ताओं को है, बल्कि हर उस नागरिक को है जो पारदर्शी लोकतंत्र में विश्वास रखता है। इस ऐतिहासिक मामले से जुड़ी ताजा खबरों के लिए बने रहें ExpertVakil.in पर।